*कोहरा और घना होगा , लेकिन उस पार धूप भी होगा*
प्रभुराज नारायण राव
आर एस एस, भारतीय जनता पार्टी नीत देश की केंद्रीय मोदी सरकार लगातार निरंकुश बनती जा रही है । भारत का संविधान और संविधान प्रदत्त तमाम जनतांत्रिक अधिकार को शिथिल किया जा रहा है । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दिशा निर्देशन में न केवल उनके मंत्री , उनके सांसद , उनकी राज्य सरकारें अभिनय कर रही है । बल्कि उनकी पूरी प्रशासनिक व्यवस्था तथा पुलिस महकमा अपने कर्तव्य तथा अधिकारों को शून्य कर तानाशाही आदेश के अनुपालन में नतमस्तक है ।
विपक्ष की हालत तो यह बना दी गई है कि देश के अंदर या बाहर घट रही सारी घटनाओं का जवाबदे विपक्ष है । देश के अंदर लुटेरों को मनमानी छूट दी जा रही है । यह सर्व विदित है कि नीरव मोदी , विजय माल्या , मेहुल चोकसी ,ललित मोदी जैसे देश के लुटेरों को इस देश से बाहर निकालने में मोदी सरकार जिम्मेदार है।
मोदी सरकार आने के समय अगर गौतम अदानी पूंजीपतियों की कतार में देश में 609 वें स्थान पर थे ।तो 2022 और 23 आते आते दुनिया के दूसरे स्थान पर कैसे चले गये ।
जब हिंडन वर्ग ने इनके काले कारनामे का चिट्ठा खोला । तो मानो पूरी दुनिया में हंगामा मच गया । इनके शेयर में भारी गिरावट आने लगे । इनके भाई विनोद अदानी और अपने लोगों द्वारा शेयर में पैसे लगने लगे । उसे कुछ ऊंचाई पर ले जाने के प्रयास होने लगे और फिर पैसे नाकाफी निकले , तो गिरावट लगातार बढ़ता गया । यह सबको पता है कि देश के मध्यमवर्ग के लोगों की गाढ़ी कमाई एल आई सी और स्टेट बैंक में रखा हुआ है । जिसका 70% हिस्सा गौतम अडानी को कैसे मिल गया । यह सबको पता है कि हमारी देश की अधिकांश बंदरगाह अदानी के पास है ,अधिकांश एयरपोर्ट अदानी अंबानी के पास है , रेल , भेल , सेल , बीएसएनएल , पीएनटी गैस जैसे सारे सार्वजनिक उपक्रमों पर गौतम अदानी का कब्जा चल रहा है ।
लेकिन जब प्रधानमंत्री मोदी स्वयं बीबीसी को निष्पक्ष और सही खबर देने वाला समाचार एजेंसी का प्रमाणपत्र दें और जब बीबीसी इनके कारनामे का काला चिट्ठा खोले तो दुनिया का सबसे भ्रष्ट समाचार केंद्र बीबीसी को बता देने का क्या मतलब निकाला जाय ।
*प्रधानमंत्री के शब्दों में पता नहीं मैंने कौन सा पाप किया था कि मैंने इस देश में जन्म लिया* दक्षिण अफ्रीका सियोल में बोले गए यह शब्द कहीं देश विरोधी नहीं लगता।
आज के इस गंभीर आर्थिक हालातों पर एक शब्द भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बोलना नहीं चाहते । जब लोकसभा में पूरा विपक्ष एकजुट होकर गौतम अदानी को देश की सारी संपत्ति देने और उनके दोषियों के जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति जे पी सी बनाने की मांग करते तो प्रधानमंत्री के कान पर जूं तक नहीं रेंगते ।
वही इंग्लैंड में राहुल गांधी द्वारा भारत के लोकतंत्र संकट में है, कहने पर माफी मांगने तक , लोकसभा नहीं चलने देने की भाजपा द्वारा घोषणा कर दी जाती है । इतना ही नहीं भारत जोड़ो कांग्रेस की यात्रा के दौरान जम्मू कश्मीर जाने के क्रम में कुछ महिलाओं की बातें सुन दिल्ली के एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी द्वारा यह कहना कि कश्मीर की कुछ महिलाएं वहां उत्पीड़न और बलात्कार जैसी घटनाएं होने की बात कही । लेकिन साथ साथ यह भी कही कि इसे अखबारों तक नहीं दिया जाए । राहुल गांधी के प्रेस सम्मेलन के 3 सप्ताह बाद दिल्ली पुलिस के डीआईजी अपने भारी लावा लश्कर के साथ मानों किसी भारी भरकम आतंकवादी को पकड़ने जा रहे हों । राहुल गांधी के आवास पर जा धमकते हैं और यह कहते कि आप बाहर आकर हमसे बतावे कि किन लोगों ने कश्मीर में आपसे यह बातें कहीं ।
प्रधानमंत्री जी आज ही प्रयागराज में एक हिन्दू की हत्या के आरोपी एक मुस्लिम की कुर्की जब्ती के दरम्यान बुलडोजर लगा कर उसके घर और दुकानों को बुरी तरह तोड़ देना कौन सी कानून राज का काम है ।प्रधानमंत्री जी दुष्यंत ने एक शेर लिखा था कि *मत कहो आकाश में कोहरा घना है । यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना है* यह 1975 के अधिनायकवादी आपातकाल के दिनों को न केवल याद दिला रहा है । बल्कि उससे भी ज्यादा इस अघोषित आपातकाल के दौर में व्यक्तिवाद और फासीवाद की कारवाइया तिब्रतर होती जा रही है । बल्कि मैं यह कहना चाहता हूं कि..
*अब पंछियों के कलरव पर भी रोक लगेगी ,
गाती पवन झकोरों पर भी रोक लगेगी।
सतर्क हो जाओ ऐ इठलाते हर पत्ते ,
जवां फूलों की कहानी पर भी रोक लगेगी*